लोहिया दर्पण

सत्य .सहकार .संवाद

प्रिय पाठकों,

‘लोहिया दर्पण’ केवल एक अख़बार नहीं, बल्कि विचारों, सरोकारों और सत्य के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का जीवंत दस्तावेज़ है। समाचारों की इस भीड़भाड़ वाली दुनिया में हम आपको भीड़ से अलग, विश्वसनीय और जागरूक पत्रकारिता देने का निरंतर प्रयास करते हैं। गांव की गलियों से लेकर राजधानी की चौपालों तक, देश-दुनिया के हर कोने में उठती हर हलचल पर हमारी सतर्क निगाह रहती है।

सूचना के इस अति प्रवाह वाले युग में, जहां सच और झूठ की सीमाएं धुंधली हो रही हैं, ‘लोहिया दर्पण’ की यह शपथ है कि हम हर समाचार को गंभीर जांच-पड़ताल के बाद ही आपके सामने प्रस्तुत करेंगे—निडरता, सटीकता और प्रभाव के साथ। हमारा विश्वास है कि सच्ची खबरें ही समाज से संवाद और सहकार का मजबूत सेतु बन सकती हैं।

हमारा दायरा केवल प्रिंट तक सीमित नहीं है। डिजिटल युग में, हम आपके स्मार्टफोन की एक क्लिक पर उपलब्ध हैं—जहां समाचार, विश्लेषण, और दृष्टिकोणों की एक सजीव दुनिया आपका इंतज़ार करती है।

राकेश यादव

प्रबंध संपादक

जीवन की एक पत्रकारिता यात्रा — अनुभव की धरोहर

अस्सी के दशक की बात है। वह दौर जब कंप्यूटर ने भारत के हर क्षेत्र में दस्तक देनी शुरू की थी। किशोरावस्था में ही तकनीक के प्रति रुचि ने मुझे कंपोजिंग की दुनिया से जोड़ा और यहीं से मेरी पत्रकारिता यात्रा की नींव पड़ी।

1988 में ‘लीडर प्रेस इलाहाबाद’ में कंप्यूटर ऑपरेटर के रूप में पहला कदम रखा। 1989 में लखनऊ से प्रकाशित होने जा रहे ‘आज’ अख़बार की लांचिंग में योगदान का अवसर मिला, और कुछ ही महीनों बाद ‘दैनिक जागरण’ के बरेली संस्करण की शुरुआत में भी भागीदारी की।

1991 में जबलपुर में ‘दैनिक भास्कर’ के साथ काम करने का अनुभव मिला और 1992 में ‘राष्ट्रीय सहारा’ के लखनऊ संस्करण की स्थापना के समय भी मैं उसका हिस्सा बना। इतने कम समय में पांच प्रमुख अखबारों से जुड़ना असामान्य लग सकता है, पर उस समय कुशल कंप्यूटर ऑपरेटरों की भारी कमी थी। मैं जहां चुनौती और अवसर मिला, वहां पहुंच गया।

मेरी सबसे लंबी और आत्मीय यात्रा ‘हिंदुस्तान’ अख़बार के साथ रही। वर्ष 1994 में पटना स्थित सर्चलाइट (यह हिंदुस्तान अख़बार की मूल कम्पनी है )से इलेक्ट्रॉनिक की-बोर्ड ऑपरेटर के रूप में नियुक्ति मिली और अगस्त 1999 में लखनऊ स्थानांतरण हुआ। वर्ष 2001 में संपादकीय टीम में शामिल होने का सौभाग्य मिला। यहां मैंने प्रादेशिक, लोकल और जनरल डेस्क पर कार्य करते हुए खबरों को गहराई से समझा और गढ़ा।

बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश के अलीगढ़, मथुरा, वाराणसी, कानपुर, गोरखपुर और प्रयागराज जैसे शहरों में ‘हिंदुस्तान’ के संस्करणों को प्रारंभ करने में सक्रिय भूमिका निभाई। इसके अतिरिक्त तीन वर्ष बलरामपुर और चार वर्ष सीतापुर में ब्यूरो प्रमुख के रूप में भी काम किया।

लगभग 37 वर्षों की पत्रकारिता यात्रा में अनेक प्रेरणादायी और निर्भीक संपादकों का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ, जिनसे मैंने केवल पत्रकारिता ही नहीं, जन सरोकारों को समझने की दृष्टि भी पाई।

मुझे पूरा विश्वास है कि एक सच्चा पत्रकार कभी सेवानिवृत्त नहीं होता। यही सोचकर अब ‘लोहिया दर्पण’ के माध्यम से मैं समाज, प्रदेश और राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारी को एक नई ऊर्जा और दृष्टि के साथ निभाने का प्रयास कर रहा हूं।

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लोहिया दर्पण में आपका स्वागत है, जहाँ हम आपको नवीनतम और सबसे सटीक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है वहीं हमारा लक्ष्य निष्पक्ष और देश दुनिया की  हर छोटी बड़ी खबरें आप तक पहुँचाना है। सच्ची खबरों के जरिए हम आपसे सहकार बढ़ाना चाहते हैं और संवाद स्थापित करना चाहते हैं।

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