अधिवक्ता सचिदानंद तिवारी की पैरवी में हाईकोर्ट ने पारिवारिक विवाद में दर्ज आपराधिक प्रकरण को किया निरस्त
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लखनऊ। माननीय न्यायमूर्ति श्री सुभाष विद्यार्थी की एकल पीठ ने अधिवक्ता श्री सचिदानंद तिवारी की प्रभावी बहस के बाद एक पारिवारिक विवाद से जुड़े आपराधिक मामले में राहत प्रदान करते हुए समस्त आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया।
मामला जनपद सुल्तानपुर के थाना जयसिंहपुर क्षेत्र से संबंधित था, जिसमें 281/64/74/115(2)/352/3(5) BNS की धाराओं में वर्ष 2024 में एफआईआर दर्ज की गई थी। आरोप था कि कुछ लोगों ने वादी को मारपीट कर घायल किया और बाद में बलात्कार के आरोप भी लगाए गए, जो कि मेडिकल रिपोर्ट से पुष्ट नहीं हो सके।
पुलिस द्वारा चार्जशीट दाखिल किए जाने के पश्चात वादिनी व आरोपियों के बीच समझौता हो गया और यह तथ्य अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया गया कि दोनों पक्ष एक ही परिवार के हैं और यह मुकदमा कुछ बाहरी लोगों के उकसावे में आकर दर्ज कराया गया था। इस बीच, श्री सचिदानंद तिवारी एवं उनके सह अधिवक्ताओं द्वारा कोर्ट में प्रभावी पैरवी करते हुए यह तर्क रखा गया कि पक्षकारों के बीच समझौता हो चुका है तथा आगे की कार्यवाही न्यायहित में नहीं होगी।
कोर्ट ने Bahori Lal बनाम State of U.P. सहित अन्य सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों का हवाला देते हुए यह कहा कि यदि किसी मामले में समझौता हो चुका हो और बलात्कार का आरोप एफआईआर का हिस्सा नहीं रहा हो, तो कोर्ट उस कार्यवाही को समाप्त कर सकती है।
अंततः अदालत ने चार्जशीट दिनांक 07.02.2025 एवं समन आदेश दिनांक 19.02.2025 को निरस्त करते हुए समस्त कार्यवाही को रद्द कर दिया।
ऑर्डर दिनांक: 10 जुलाई 2025
कोर्ट: उच्च न्यायालय, लखनऊ खंडपीठ
मामला संख्या: U/S 528 BNSS No. – 534 of 2025
अधिवक्ता: श्री सचिदानंद तिवारी, नवीन गिरि, विवेक प्रताप, राहुल