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सरकार ने आमजन को त्योहारों से पहले दी बड़ी राहत: जीएसटी में बदलाव, रोटी-तेल से लेकर टीवी तक हुआ सस्ता

अब सिर्फ दो जीएसटी स्लैब, जानें क्या-क्या हुआ सस्ता और क्या महंगा नई ‎दिल्ली,(ईएमएस)। मोदी सरकार ने आम जनता को त्यौहारों से पहले बड़ी राहत प्रदान कर दी है। दरअसल 4 सितंबर को दिल्ली में हुई 56वीं जीएसटी काउंसिल की बैठक में राहत पहुंचाने वाले बड़े बदलावों पर मुहर लगी है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की कि अब देश में केवल दो सक्रिय जीएसटी स्लैब 5 फीसदी और 18 फीसदी रहेंगे। पहले की तरह 12 फीसदी और 28 फीसदी स्लैब को हटा दिया गया है। यह बदलाव 22 सितंबर 2025 से पूरे देश में लागू होगा। केंद्र सरकार का कहना है कि इन बदलावों से रोजमर्रा के जीवन में काम आने वाली बहुत सी चीजें सस्ती होंगी, जिससे खासकर मध्यम वर्ग और गरीबों को सीधा लाभ मिलेगा। जीएसटी कटौती के बाद कई जरूरी वस्तुएं अब या तो शून्य टैक्स (0 फीसदी) या सिर्फ 5 फीसदी टैक्स के दायरे में आ गई हैं। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आभार व्यक्त करना चाहती हूं, जिन्होंने जीएसटी में सुधार करने की बात कही थी। जीएसटी में सुधार के लिए सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों ने समर्थन दिया। समय की मांग को ध्यान में रखकर वित्त मंत्रियों ने सपोर्ट किया, इसके लिए उनका भी धन्यवाद। यहां बताते चलें कि शून्य फीसदी जीएसटी वाली चीजें (पूरी तरह टैक्स फ्री) भी हैं, जिनमें 33 जीवन रक्षक दवाएं, कैंसर की दवाएं, दुर्लभ बीमारियों की दवाएं, व्यक्तिगत जीवन बीमा, स्वास्थ्य पॉलिसियां, मानचित्र, चार्ट, ग्लोब, पेंसिल, शार्पनर, क्रेयॉन, पेस्टल, अभ्यास पुस्तिकाएं, नोटबुक, रबड़, दूध, छेना या पनीर, पहले से पैक और लेबल वाला, पिज्जा ब्रेड, खाखरा, चपाती या रोटी आदि प्रमुख हैं। इसका सीधा लाभ आमजन को मिलेगा वहीं मध्यम वर्गीय परिवारों को भी राहत मिलने की उम्मीद जाहिर की जा रही है। दरअसल पांच फीसदी स्लैब में आने वाले सामान में बालों का तेल, शैम्पू, टूथपेस्ट, टॉयलेट साबुन, टूथब्रश, शेविंग क्रीम, मक्खन, घी, पनीर और डेयरी स्प्रेड, नमकीन, बर्तन, दूध की बोतलें, शिशुओं के लिए नैपकिन और क्लिनिकल डायपर, सिलाई मशीनें और उनके पुर्जे, थर्मामीटर, मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन, सभी डायग्नोस्टिक किट और अभिकर्मक, ग्लूकोमीटर और टेस्ट स्ट्रिप, चश्मा, ट्रैक्टर के टायर, पुर्जे, ट्रैक्टर, निर्दिष्ट जैव-कीटनाशक, सूक्ष्म पोषक तत्व, टपक सिंचाई प्रणाली और स्प्रिंकलर और मिट्टी तैयार करने के लिए कृषि, बागवानी या वानिकी मशीनें शामिल हैं।

राज्यों को जीएसटी में 70 फीसदी मिलेगा?

एसबीआई के एक रिसर्च पेपर में बताया गया है कि किसी राज्य में जीएसटी की वसूली जितनी भी हुई, उसमें तो पहले आधे-आधे का बंटवारा होगा। उसके बाद केंद्र के हिस्से में जो राशि आई, उसमें से भी 41 फीसदी राशि राज्यों वापस दिया devolved back जाएगा। मतलब कि यदि किसी राज्य से 100 रुपये के जीएसटी का कलेक्शन हुआ तो राज्य को करीब 70.5 रुपये की हिस्सेदारी मिलेगी। मतलब कि स्टेट नेट गेनर होगा।

इसी साल 14.1 लाख करोड़ मिलेंगे राज्यों को

इस रिसर्च रिपोर्ट में बताया गया है कि इसी साल मतलब कि साल 2025-26 में ही राज्यों को एसजीएसटी के मद में करीब 10 लाख करोड़ रुपये मिलेंगे। इसके साथ ही डिवॉल्यूशन के मद में 4.1 लाख करोड़ रुपये मिलेंगे। यानी, कुल मिला कर सभी राज्यों को जीएसटी से हिस्सेदारी के रूप में 14.1 लाख करोड़ रुपये मिलेंगे। इस व्यवस्था से उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र जैसे राज्यों को ज्यादा फायदा होगा क्योंकि इन राज्यों में अन्य राज्यों के मुकाबले कंजप्शन ज्यादा है।

केंद्र सरकार को कितना नुकसान

केंद्रीय वित्त मंत्रालय में रेवेन्यू सेक्रेटरी अविनाश श्रीवास्तव का कहना है कि जीएसटी रेट रेशनलाइजेशन की वजह से केंद्र सरकार को करीब 48 हजार करोड़ रुपये का नुकसान होगा। इसकी गणना साल 2023-24 के उपभोग के आंकड़ों पर किया गया है। हालांकि इस साल यदि कंजप्शन पैटर्न में बदलाव होता है तो फिर उसका असर अलग दिखेगा।

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