*लखनऊ/बीकेटी*
एक महिला जिसने गैंगरेप का झूठा मुकदमा दर्ज कराया था, उसे 7 साल 6 महीने की सजा और ₹2 लाख 1 हजार रुपये का जुर्माना सुनाया गया है। यह फैसला भले ही कानूनी दृष्टिकोण से न्याय का प्रतीक हो, लेकिन इसके पीछे छिपी सामाजिक सच्चाई कहीं ज़्यादा गंभीर है। 2022 में लखनऊ के बीकेटी थाने में दर्ज एक झूठी FIR ने दो निर्दोष पुरुषों-राजेश और बी.के. उर्फ भूपेन्द्र की ज़िंदगी बदल दी। उन्हें महीनों जेल में रहना पड़ा, समाज के तानों का सामना करना पड़ा, और शायद जीवन भर का मानसिक आघात झेलना पड़ा।आखिर में जांच में सच सामने आया और दोनों को सीआरपीसी की धारा 169 के तहत रिहा किया गया।