वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जीएसटी सुधारों का मुख्य उद्देश्य आम लोगों तक कर कटौती का लाभ पहुँचाना बताया। उन्होंने कहा कि जीएसटी दरों के युक्तिकरण (5% और 18% के नए स्लैब) से देश के मध्यम वर्ग और उपभोक्ताओं को सीधा आर्थिक लाभ मिलेगा, जिसकी निगरानी 22 सितंबर के बाद एक बड़ी सतर्कता प्रक्रिया के तहत की जाएगी।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता यह होगी कि जीएसटी सुधारों के फायदे सीधे आम जनता तक पहुँचें। इंडिया टुडे टीवी और आज तक को दिए गए एक साक्षात्कार में उन्होंने स्पष्ट किया कि 22 सितंबर के बाद सरकार के सामने कई अहम कार्य होंगे। उन्होंने भरोसा जताया कि जीएसटी दरों में की गई कटौती का वास्तविक लाभ उपभोक्ताओं तक पहुँचेगा। सीतारमण ने कहा कि आगे का चरण बेहद सतर्कता और निगरानी का होगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि राहत का असर आम आदमी की जेब तक पहुचे गा
रूरतों को ध्यान में रखते हुए तैयार किए गए हैं। उन्होंने कहा कि अब 90 प्रतिशत से अधिक वस्तुएँ 5 प्रतिशत या उससे कम टैक्स स्लैब में आ गई हैं, जबकि केवल एक प्रतिशत वस्तुएँ ही 40 प्रतिशत कर श्रेणी में आती हैं। उनके मुताबिक, आम आदमी की रोज़मर्रा की ज़रूरतें और आकांक्षाएँ ही इस सुधार प्रक्रिया का केंद्र बिंदु हैं।
सीतारमण ने बताया कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों से लेकर बीमा कंपनियों और अन्य उद्योग जगत ने सरकार को जीएसटी सुधार लागू करने में पूरा सहयोग देने का भरोसा दिया है। उन्होंने कहा कि अगर कोई कंपनी अलग राय रखती है, तो सरकार उनसे संवाद करेगी, क्योंकि सुधारों से खपत और राजस्व दोनों बढ़ेंगे।
विपक्ष पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस और अन्य पार्टियाँ अब उन सुधारों का श्रेय लेने की कोशिश कर रही हैं, जिन्हें उन्होंने कभी “गब्बर सिंह टैक्स” कहकर बदनाम किया था।
जीएसटी परिषद की 56वीं बैठक में एक अहम फैसला लिया गया, जिसके तहत 12 और 28 प्रतिशत की दरों को खत्म कर 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत के दो स्लैब रखे गए। इसमें 5% स्लैब के तहत आम जरूरत की चीज़ें और सेवाएँ शामिल की गईं, जैसे –
खाद्य और रसोई उत्पाद: मक्खन, घी, पनीर, पैक्ड नमकीन, भुजिया, मिक्सचर, डेयरी स्प्रेड, बर्तन।
कृषि उपकरण: ड्रिप सिंचाई प्रणाली, स्प्रिंकलर, जैव-कीटनाशक, माइक्रोन्यूट्रिएंट्स, ट्रैक्टर व उसके टायर, मिट्टी तैयार करने और कटाई के औज़ार।
हस्तशिल्प और लघु उद्योग उत्पाद: सिलाई मशीन और उसके पुर्जे।
स्वास्थ्य व कल्याण: चिकित्सा उपकरण और डायग्नोस्टिक किट।
सरकार का मानना है कि इन सुधारों से न सिर्फ उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी, बल्कि उद्योग जगत को भी स्थिर और पारदर्शी कर व्यवस्था का लाभ होगा।
जीएसटी सुधारों से आम जनता और मध्यम वर्ग को बड़ी राहत: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में स्पष्ट किया कि सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता जीएसटी सुधारों का लाभ सीधे आम जनता और मध्यम वर्ग तक पहुँचाना है। इंडिया टुडे टीवी और आज तक को दिए गए एक विशेष साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि 22 सितंबर के बाद सरकार के सामने कई अहम कार्य होंगे और मुख्य ध्यान इस बात पर होगा कि दरों में कटौती का वास्तविक फायदा उपभोक्ताओं तक पहुँचे।
सीतारमण ने कहा, “हमारा उद्देश्य केवल सुधार करना नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि इन सुधारों का लाभ लोगों की जेब तक पहुँचे। यह एक बड़ी निगरानी और सतर्कता की प्रक्रिया है, लेकिन हमें भरोसा है कि इसका असर आम आदमी को जरूर मिलेगा।”
आम आदमी और मध्यम वर्ग केंद्र में
वित्त मंत्री ने जोर देकर कहा कि नए जीएसटी सुधार खासतौर पर मध्यम वर्ग और आम जनता की बुनियादी जरूरतों और आकांक्षाओं को ध्यान में रखकर तैयार किए गए हैं। उन्होंने बताया कि अब 90 प्रतिशत से ज्यादा वस्तुएँ 5 प्रतिशत या उससे कम टैक्स स्लैब में आ चुकी हैं। वहीं, केवल एक प्रतिशत वस्तुएँ ही ऐसी हैं जिन पर 40 प्रतिशत कर दर लागू होती है।
उन्होंने कहा, “हमारे लिए सबसे अहम बात यह थी कि आम लोगों की रोजमर्रा की जरूरतें सस्ती हों। जीएसटी सुधारों का मूल उद्देश्य यही है कि मध्यम वर्ग और सामान्य परिवारों की जेब पर बोझ कम हो।”
उद्योग जगत का समर्थन
सीतारमण ने यह भी जानकारी दी कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों, बीमा कंपनियों और विभिन्न उद्योग प्रतिनिधियों ने जीएसटी सुधारों को लागू करने में सरकार को पूर्ण समर्थन देने का आश्वासन दिया है। उनके अनुसार, अगर किसी कंपनी की अलग राय होगी, तो सरकार संवाद के जरिए समाधान निकालेगी।
उन्होंने कहा कि इन सुधारों से उपभोग में वृद्धि होगी, जिससे आर्थिक गतिविधियाँ तेज होंगी और सरकार की आय भी बढ़ेगी।
विपक्ष पर हमला
साक्षात्कार के दौरान वित्त मंत्री ने विपक्षी दलों पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल अब उन्हीं सुधारों का श्रेय लेने की कोशिश कर रहे हैं, जिन्हें उन्होंने पहले “गब्बर सिंह टैक्स” कहकर बदनाम किया था।
सीतारमण ने कहा, “जो लोग कभी जीएसटी का मजाक उड़ाते थे और इसे ‘गब्बर सिंह टैक्स’ कहते थे, वे आज जीएसटी 2.0 सुधारों का श्रेय लेने की होड़ में लगे हैं। यह दोहरी राजनीति है, जिसे जनता समझ रही है।”
जीएसटी परिषद का अहम फैसला
हाल ही में हुई जीएसटी परिषद की 56वीं बैठक में एक बड़ा निर्णय लिया गया। इसमें 12 प्रतिशत और 28 प्रतिशत की दरों को खत्म कर केवल दो मुख्य स्लैब – 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत – रखने का फैसला किया गया। इसका उद्देश्य कर ढांचे को सरल और तर्कसंगत बनाना है।
5% स्लैब में आने वाली वस्तुएँ और सेवाएँ
खाद्य एवं रसोई उत्पाद: मक्खन, घी, पनीर, पैक्ड नमकीन, भुजिया, मिक्सचर, डेयरी स्प्रेड और बर्तन।
कृषि उपकरण: ड्रिप सिंचाई प्रणाली, स्प्रिंकलर, जैव-कीटनाशक, सूक्ष्म पोषक तत्व, मिट्टी तैयार करने की मशीनें, कटाई के उपकरण, ट्रैक्टर और ट्रैक्टर टायर।
हस्तशिल्प एवं लघु उद्योग: सिलाई मशीन और उसके पुर्जे।
स्वास्थ्य क्षेत्र: चिकित्सा उपकरण और डायग्नोस्टिक किट।
सरकार का मानना है कि इन सुधारों से उपभोक्ताओं को सीधी राहत मिलेगी और उद्योगों को एक स्थिर, पारदर्शी और सरल कर ढांचा प्राप्त होगा।
आगे की राह
वित्त मंत्री ने कहा कि 22 सितंबर के बाद सरकार का ध्यान इस बात पर होगा कि इन सुधारों का असर जमीनी स्तर पर दिखे। इसके लिए व्यापक निगरानी प्रणाली तैयार की जाएगी ताकि दरों में कटौती का वास्तविक लाभ जनता तक पहुँच सके।
सरकार को विश्वास है कि यह कदम न केवल आम आदमी के जीवन को आसान बनाएगा, बल्कि अर्थव्यवस्था को भी मजबूती देगा और निवेश तथा खपत दोनों में बढ़ोतरी करेगा।